75 Quotes by Divya Prakash Dubey
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पता नहीं अगर कभी कोई हिसाब लगता कि समाज ने कितने घरों को जोड़ा और कितनों को तोड़ा है तो शायद ही समाज दुनिया की किसी भी कॉलोनी में मुँह दिखाने लायक बचता।
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मयंक स्कूल में तब तक यशवी के लिए जगह बचाकर रोककर रखता रहा जब तक एक दिन वो उसे भूल नहीं गया । उधर यशवी भी मयंक का तब तक इंतज़ार करती रही और ताजमहल वाले promise और अपनी शादी के बारे में सोचती रही जब तक वो एक दिन मयंक को भूल नहीं गयी और बची कावेरी ....हाँ बची कावेरी..... कभी मम्मी बनकर तो कभी पापा बनकर तो कभी fill in blanks बनकर
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वो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी और जैसा की अमूमन होता है जब भी कोई लड़की हँसती है तो वो कभी अकेली नहीं होती उसकी आस-पास वाली 2-3 सहेलियाँ भी तुरंत हँसने लगती है । बात चाहे उन्हे पता हो या न हो लेकिन लड़कियों की ये साथ हँसने वाली chemistry कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कॉमन है ।
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हिंदुस्तान में कभी कोई प्राइवेट इंजीन्यरिंग कॉलेज में पढ़ने के लिए कोचिंग नहीं करता।
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प्राइवेट कॉलेज जहां प्लेसमेंट के अलावा बाकी सबकुछ किसी भी अच्छे इंजीन्यरिंग कॉलेज जैसा होता है । दोस्ती छोड़कर एक भी अच्छी चीज़ न सिखाने वाले दोस्त , जिन्दगी भर साथ न छोड़ने वाले दोस्त, हॉस्टल की मैस जहां खाने की वजह बस एक होती है कि जितनी देर तक मैस खुलती है उतनी देर लड़के लड़कियों को और लड़कियां लड़कों को बेरोकटोक तड़ सकें , कॉलेज के बाहर पास वाली टपरी जहां चाय, सिगरेट और मैगी मिलती है , जिन्दगी भर याद आने वाली वो एक लड़की या बहुत सी लड़कियां।
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कॉलेज के बाद भी कई लोग केवल इसलिए याद रह जाते हैं कि क्यूंकी उनको पूरे इंजीन्यरिंग के दौरान अपने कभी अकेले नहीं देखा होता वो हमेशा जोड़े में ही दिखते हैं
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शुरू में दोस्ती से बेस्ट फ्रेंड तक और शुरू होने के थोड़े दिन बाद से बेस्ट फ्रेंड से प्यार की दूरी तय करते हैं और जब एक बार प्यार की मोहर लग जाती है तो प्यार से और सच्चे वाले प्यार की दूरी तय करते रहते हैं । प्यार तक की दूरी तो कई जोड़े तय कर लेते हैं लेकिन ये सच्चे प्यार वाला लेवेल आते आते फ़ाइनल इयर आ जाता है इसीलिए इंजीन्यरिंग में प्यार करना एक बात है और सच्चा प्यार करना दूसरी बात।
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कैंटीन में दो हिस्से हैं एक तरफ जहां लड़कों वाला पूरा ग्रुप रहता है और दूसरी तरफ वाले हिस्से में अच्छा सा कोना देखकर वो couple बैठते होते हैं जो प्यार के दूसरे लेवेल पर होते हैं यानि बेस्ट फ्रेंड से प्यार वाले लेवेल पर। कैंटीन के इस हिस्से को लोग प्यार से family section बोलते हैं
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वो प्यार के कारण अच्छी दोस्त खोना नहीं चाहता था। जब भी ये choice हो कि दोस्ती और प्यार में से एक चीज बचानी हो तो लड़के अक्सर दोस्ती को बचा लेते हैं क्यूंकी प्यार के चक्कर में दोस्ती भी नहीं बचती कई बार। तरुण ने भी यही किया उस शाम उसने शिवानी के प्यार और दोस्ती के बीच में दोस्ती को बचाना ठीक समझा।
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