73 Quotes by TRIPURARI


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    माँ मिरी बे-वजह ही रोती है फ़ोन पर जब भी बात होती हैफ़ोन रखने पे मैं भी रोता हूँ

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    सख़्त ऊपर से मगर दिल से बहुत नाज़ुक हैं चोट लगती है मुझे और वो तड़प उठते हैं हर पिता में ही कोई माँ भी छुपी होती है

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    चाहे कितना भी हो घनघोर अंधेरा छाया आस रखना कि किसी रोज़ उजाला होगा रात की कोख ही से सुब्ह जनम लेती है

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    ये न सोचो कि ज़रा दूर दिखाई देगा एक ही दीप से आग़ाज़-ए-सफ़र कर लेना रोशनी होगी जहाँ पर भी क़दम रक्खोगे

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    आँसू ख़ुशियाँ एक ही शय है नाम अलग हैं इनके पेड़ में जैसे बीज छुपा है बीज में पेड़ है जैसे एक में जिसने दूजा देखा वो ही सच्चा ज्ञानी

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    ज़ेहन की शाख़ को इक याद की उंगली ने छुआ और फिर सीने में हर सिम्त कई फूल गिरे तेरी ख़ुशबू में सराबोर हुआ बैठा हूँ

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    जिन दिनों तुम कर रहे थे जंग की तैयारियाँउन दिनों हम सींचते थे फूल वाली क्यारियाँ अपनी अपनी आदतों से हम बहुत मजबूर थे

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    तुम उछालो ये साँस के सिक्के और मैं गुल्लक गले का सम्भालूँ ज़िंदगी यूँ बसर करेंगे हम

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