8 Quotes by जयशंकर प्रसाद about hindi
"जिसके हाथ में बल नहीं, उसका अधिकार ही कैसा?और यदि मांगकर मिल भी जाय, तो शांति की रक्षा कौन करेगा?"
"परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है। स्थिर होना मृत्यु है, निश्चेष्ट शांति मरण है।"
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"मेघ-संकुल आकाश की तरह जिसका भविष्य घिरा हो, उसकी बुद्धि को तो बिजली के समान चमकना ही चाहिये।"
"देवि, जीवन विश्व की सम्पत्ति है। प्रमाद से, क्षणिक आवेश से, या दुःख की कठिनाइयों से उसे नष्ट करना ठीक तो नहीं।"
"विजया! आकाश के सुंदर नक्षत्र आंखों से केवल देखे जाते हैं, वे कुसुम-कोमल हैं कि वज्र-कठोर -- कौन कह सकता है।"
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