4 Quotes by Darshvir Sandhu about poetry
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... और जब तुम थमी तपी हवा हो जाओमैं सूखी चोंच से खामोश रेत पर ओस लिखूंगातुम उसे प्रेम पढ़ना ...( झील में अटकी नदी से )
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जो स्याही चाँद से मोहब्बत कर बैठती तो रातें अपना वक़्त कहाँ काटतीं ....
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तुम दहाड़ की फटी आंख में लहू बोना देखना, ये आसमां गिरगिटों से पहले रंग बदल लेंगे
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इस किताब में जो भी दर्ज है वो महज़ ली हुई सांसें हैं, पहना हुआ चांद है, सिल्ली की सीलन है और कुछ अदद करवटें हैं मेरे 'पोरों पे जमे सच' की...।
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