11 Quotes by Omprakash Valmiki about Reality




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    साहित्य में नरक की सिर्फ कल्पना है। हमारे लिए बरसात के दिन किसी नारकीय जीवन से कम न थे। हमने इसे साकार रूप में जीते–जी भोगा है। ग्राम्य जीवन की यह दारुण व्यथा हिन्दी के महाकवियों को छू भी नहीं सकी। कितनी बीभत्स सच्चाई है यह!

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  • Author Omprakash Valmiki
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    सदियों से चली आ रही इस प्रथा के पार्श्व में जातीय अहम की पराकाष्ठा है। समाज में जो गहरी खाई है उसे प्रथा और गहरा बनाती है। एक साजिश है हीनता के भँवर में फँसा देने की।

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