18 Quotes by TRIPURARI about Poetry
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चाहे कितना भी हो घनघोर अंधेरा छाया आस रखना कि किसी रोज़ उजाला होगा रात की कोख ही से सुब्ह जनम लेती है
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ये न सोचो कि ज़रा दूर दिखाई देगा एक ही दीप से आग़ाज़-ए-सफ़र कर लेना रोशनी होगी जहाँ पर भी क़दम रक्खोगे
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आँसू ख़ुशियाँ एक ही शय है नाम अलग हैं इनके पेड़ में जैसे बीज छुपा है बीज में पेड़ है जैसे एक में जिसने दूजा देखा वो ही सच्चा ज्ञानी
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ज़ेहन की शाख़ को इक याद की उंगली ने छुआ और फिर सीने में हर सिम्त कई फूल गिरे तेरी ख़ुशबू में सराबोर हुआ बैठा हूँ
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जिन दिनों तुम कर रहे थे जंग की तैयारियाँउन दिनों हम सींचते थे फूल वाली क्यारियाँ अपनी अपनी आदतों से हम बहुत मजबूर थे
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तुम उछालो ये साँस के सिक्के और मैं गुल्लक गले का सम्भालूँ ज़िंदगी यूँ बसर करेंगे हम
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जुल्म के वक़्त भी गर लब न खुलेंगे तो सुनो अपनी चुप्पी के तले दब के ही मर जाओगे खुल के बोलो कि ज़माने को लगे ज़िंदा हो
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Poetry is one last hiccup; born on the lips of a dying poet.
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Poetry is that ointment, which I rub every day on my injury.
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