वैसे भी सही-गलत, सच और झूठ के पचड़े में पड़ने की बजाए जिंदगी को जीना जरूरी है। वो लोग अक्सर जी नहीं पाते जो सही-गलत के चक्कर में पड़े रहते हैं। कई सच जिनके साथ जिंदगी शुरू होती है वो कहीं आधे रास्ते में ही झूठ हो जाते हैं। हमारी जान-बूझकर की गई गलतियाँ कितनी अच्छी होती हैं, ये वही जान सकता है जिसने गलतियाँ की हों। जिंदगी में सबसे बुरा उन बेचारों के साथ होता है जो हर चीज सही और गलत के तराज़ू में तौलते-तौलते कभी कोई गलती नहीं कर पाते
-Divya Prakash Dubey
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