खुली आँखों से हमनें कुछ ख्वाब देखे।कभी तो अपने यार को बेहिज़ाब देखे।राह देख धुंधला गयी 'जीत' की निगाहें,कभी आप की ओर से इजहार-ए-जनाब देखे।
-Jitendra kumar Sahu
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