आम भारतीय जो गरीबी में, गरीबी की रेखा पर, गरीबी की रेखा के नीचे हैं, वह इसलिए जी रहा है कि उसे विभिन्न रंगों की सरकारों के वादों पर भरोसा नहीं है। भरोसा हो जाये तो वह खुशी से मर जाये। यह आदमी अविश्वास, निराशा और साथ ही जिजीविषा खाकर जीता है।
-Harishankar Parsai
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