तुमसे जीवन, तुमसे तृष्णा, तुमसे वसन व तुमसे भुवन री प्रियतमे ! कनक दृगों से तेरे प्रज्ज्वल मेरा मन दर्पण ll.... उत्पल कांत मिश्र "नादाँ
-Utpal Kant Mishra
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