75 Quotes by Divya Prakash Dubey

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    इंजीन्यरिंग कॉलेज की ज़्यादातर love stories ऐसे ही किसी शाम सूरज के साथ ऐसे ही किसी कैंटीन के बाहर चुप चाप डूब जाती हैं। इंजीन्यरिंग के आखिरी महीने में सूरज पर love stories को साथ लेकर डूबने का लोड बढ़ता जा रहा था और वो गुस्से में रोज़ थोड़ा ज़्यादा लाल होता जा रहा था।

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    वैसे भी सही-गलत, सच और झूठ के पचड़े में पड़ने की बजाए जिंदगी को जीना जरूरी है। वो लोग अक्सर जी नहीं पाते जो सही-गलत के चक्कर में पड़े रहते हैं। कई सच जिनके साथ जिंदगी शुरू होती है वो कहीं आधे रास्ते में ही झूठ हो जाते हैं। हमारी जान-बूझकर की गई गलतियाँ कितनी अच्छी होती हैं, ये वही जान सकता है जिसने गलतियाँ की हों। जिंदगी में सबसे बुरा उन बेचारों के साथ होता है जो हर चीज सही और गलत के तराज़ू में तौलते-तौलते कभी कोई गलती नहीं कर पाते

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    एक उम्र होती है जब क्लास की खिड़की से बाहर आसमान दूर कहीं जमीन से मिल रहा होता है और हमें लगता है कि शाम को खेलते-खेलते हम ये दूरी हम तय कर लेंगे। दूरी तय करते-करते जिस दिन हमें पता चलता है कि ये दूरी तय नहीं हो सकती, उसी दिन हम बड़े हो जाते हैं

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    ये जो and please be honest हैं न ये बार बार इसलिए बोला जाता है ताकि गलती से अगर बंदा बातों में आकार भूल गया है कि उसको सब सच बोलना है तो वो एक बार सोच ले और वही बोले जो इंटरव्यू crack करने के लिए ठीक हो । वरना ज़्यादा honest होने के जो भी फ़ायदे नुकसान हैं वो किसी से दुनिया में छुपे थोड़े हैं।

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    हमारे पहले कदम से लेकर आखिरी कदम तक तय की गयी दूरी की लंबाई जिन्दगी के बराबर होती है । इसीलिए शायद जिन्दगी हमें भटकाती है ताकि हम अपने हिस्से भर की जिन्दगी चल पायें। ये कहानियाँ भटककर संभलने और संभलकर दुबारा भटकने के दौरान तय की गयी दूरियाँ भर हैं

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    मुझे शुरू से कार ड्राइव करने वाली और गाली देने वाली लड़कियाँ बहुत पसंद थीं। ऐसा लगता था कि कम-से-कम ये तो कुछ भी सहती नहीं होंगी सब अपनी मर्जी से करती होंगी

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    प्लेसमेंट और प्राइवेट कॉलेज में कोई सीधा संबन्ध नही होता . प्राइवेट कॉलेज से इंजीन्यरिंग पढ़ना एक चीज़ है और प्लेसमेंट हो जाना बड़ी चीज़

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    इंजीनियरिंग कॉलेज में लिखने वाले लोग अक्सर ही कम होते हैं, इसलिए जो थोड़े बहुत लिखने वाले होते हैं उनकी कैमिस्ट्री तुरंत मैच कर जाती है। बातें कब किताबों से शुरू होती थी और उनके characters पर खतम। वो जो एक दूसरे से सीधे नहीं बोल पाते थे। किसी किताब में कोई-न-कोई character वो बात बोल देता था। दोनों को कई बार एक दूसरे जो बोलना होता था वो किताब में निशान लगा कर बता दिया करते थे.

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    लाइफ को लेकर प्लान बड़े नहीं, सिम्पल होने चाहिए। प्लान बहुत बड़े हो जाएँ तो लाइफ के लिए ही जगह नहीं बचती।

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