2 Quotes by त्रिपुरारि
- Author त्रिपुरारि
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जब उदास लम्हों की रंगीन तितलियाँ मेरी आँखों में रक़्स करती हैं, तो सीने की वीरानी में अफ़्सानों का एक जंगल उगने लगता है।
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कवि होना साँस की सूखी हुई नदी में डूबकर आत्महत्या करना है।
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