4 Quotes by Ananda Shailendra Dev
- Author Ananda Shailendra Dev
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उड़ चलूँगा मैं एक दिन , तेरे पास ,दोनों पंखों से , जो तूने दिये हैं ,एक संघर्ष तो दूजा मोहब्बत का ।तू धीरे से बढ़ा देना अपनी हथेली ,की मैं तुझमे ही विराम पाऊँ ॥फिर चाहे तुम मुझे लगा लेना सीने से ,या फिर गोद मे बिठा लेना ,या फिर दे देना आदेश उड़ जाने को ,मैं तो बस तेरे इक दीदार को ,खुद को खोकर ही ये उपहार पाऊँ ,की मैं तुझमे ही विराम पाऊँ ॥
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A person having materialistic mind can't do anything good for you if you are unable to fulfill the longing of those person having such materialistic mind.
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हर रंगों की अपनी एक कहानी है ,हर कहानी के साथ एक ज़िंदगानी है । इक रंगोली के आँचल मे रंग है हजारों ,ज़िंदगानी उसकी भी बयां करती है वो रंगोली ,जिसके हाथों ने अपने हजारों रंग उस रंगोली मे सजाई है ।।
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खो देना चाहता हूँ मैं अपनी रंग ,तुम्हारे रंगों में ।होली तो बस बहाना है,अपनी "अहं" रंग छोड़ के,बस तेरे रंग मे रंग जाना है । आओ चलो बैठते हैं , फिर से एक साथ ,की ख्वाइस है,की मैं तुझे देखता रहूँ , की बस तू मुझे देख रहा है । तुम्हारी "बराभय" अदाओं से , मुझे देखती तुम्हारी दोनों नैनों से ,मेरी तो अपनी "अहं" रंग खो जाना है , बस अब तेरे रंग मे रंग जाना है।
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