7 Quotes by Binoy Majumdar
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אני לא מבין שירה- בנגי מאגומדראני לא מבין שירה; זיקוקים בחושךהמון אור, לא מעניין, אור רךזה יכול להיות בשמים בשמים חשוכיםככל שהטשטוש הוא השמים האמיתיים -כאשר ההרגשה הזאת מצוירת בקלותעידן הגילאים אומר לנו להמשיך,כוכב, זיקוקין - הכל; אם אתה עמוק יותר עומקחלל לא מאושר ללב החשוךיכול לתת דרך; המאמצים לנסות; כאילואמל יכולה סוף סוף לוותרAnubhav Jyotsna; קח אותו בעניין זועםשוכב על המיטה, בשמים, יכול לקבל את דשן הלב.בורות זו מעורבת בדם בשיר הזהכמו מלח עדין, כמו שיחות סוליטייר.
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वापस आओदिल, चुपचाप खेलते हैं; सितारे, जर्दी, शारीरिक रचना-वे कभी अधिक तेज संगीत नहीं सुनेंगे।बहरा एक जगह पर है; या अपने बारे में भूल जाओप्रेमी की प्यास, दुनिया के बाज़ार से।जब मैंने कविताएं लिखीं, तो दो लोग चकित हो गए।अंत में फूल, आँसू सिर्फ धुन है।कविता या गीत ... मुझे लगता है, पक्षी-कोयल गाते हैंवह दुनिया के बारे में नहीं सोचता, खुद को बचा लेता है।
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জাগতিক সফলতা নয়, শয়নভঙ্গির মতোঅনাড়ষ্ট সহজবিকাশ সকল মানুষ চায়
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वापस आओ, पहिया रोमांच बना रहता है; अंधेरे में गांव में सोते हैंशरीर पर ठंडे सांप की प्रकृति को समझनाथ्रिलर जो नीचे आया, पेट में गीला और गीला।आत्माओं, तुम नहीं समझते, शरीर, शरीर, आत्मा।सगरहंसी का श्वेत गीत जमीन पर उठ गया।ध्वनि हवा में हवा, ताकि ठंड के मौसम में,रोना, गर्म स्वभाव प्राप्त करना चाहते हैंरोमांस को शांत पूरक के साथ मिलाया गया है।
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সকল ফুলের কাছে এত মোহময় মনে যাবার পরেওমানুষেরা কিন্তু মাংস রন্ধনকালীন ঘ্রাণ সবচেয়ে বেশি ভালোবাসে
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নাপিত বনাম নমঃশুদ্রনাপিত উপরে নাকি নমঃশুদ্র সম্প্রদায় উপরে — এ কথাযখন আলোচ্য হল তখন কেবলমাত্র এই বললামসাহিত্য দিয়েও নয়, গোপাল ভাঁড়ের গল্প দিয়েনয়, রাজনীতি দিয়ে ভাবো । কতজন মন্ত্রী হয়েছে এনমঃশুদ্র সম্প্রদায়ে — তাই দিয়ে ভাবো ।নাপিতদের কেউ মন্ত্রী হতে পারেনি তো আরবহু নমঃশুদ্র মন্ত্রী হয়েছে তো এ যাবৎ গুনে গুনে দ্যাখো ।এই রাজনীতি দিয়ে বোঝা যায় নমঃশুদ্র সম্প্রদায় নাপিতের উপরেই ঠিক ।
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কেন এই অবিশ্বাস, কেন আলোকিত অভিনয়?কী আছে এমন বর্ণ, গন্ধময়; জীবনের পথে,গ্রন্থের ভিতরে আমি বহুকাল গবেষক হয়েলিপ্ত আছি, আমাদের অভিজ্ঞতা কীটের মতন ।জানি, সমাধান নেই; অথচ পালঙ্করাশি আছে,রাজকুমারীরা আছে- সুনিপুণ প্রস্তরে নির্মিতযারা বিবাহের পরে বারংবার জলে ভিজে ভিজেশৈবালে আবিষ্ট হয়ে সারস শ্যামল হতে পারে ।এখন তাদের রূপ কী আশ্চর্য ধবল লোহিতঅকারণে খুঁজে ফেরা; আমি জানি, নীল হাসি নেই ।জঠরের ক্ষুধা তৃষ্ণা, অট্টালিকা, সচ্ছলতা আছেসফল মালার জন্য; হৃদয় পাহাড়ে ফেলে রাখো ।
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