5 Quotes by Dushyant Kumar

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    पूरा घर अँधियारा, गुमसुम साए हैंकमरे के कोने पास खिसक आए हैं

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    सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

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    हाथों में अंगारों को लिए सोच रहा था,कोई मुझे अंगारों की तासीर बताए

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    एक जंगल है तेरी आँखों मेंमैं जहाँ राह भूल जाता हूँ तू किसी रेल-सी गुज़रती हैमैं किसी पुल-सा थरथराता हूँ

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    जा तेरे स्वप्न बड़े हों।भावना की गोद से उतर करजल्द पृथ्वी पर चलना सीखें।चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लियेरूठना मचलना सीखें।हँसेंमुस्कुराएँगाएँ।हर दीये की रोशनी देखकर ललचायेंउँगली जलाएँ।अपने पाँव पर खड़े हों।जा तेरे स्वप्न बड़े हों।

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