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TRIPURARI

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Quotes by TRIPURARI

TRIPURARI's insights on:

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Poetry is that ointment, which I rub every day on my injury.
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Poetry is one last hiccup; born on the lips of a dying poet.
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प्यास ऐसी थी कि मैं सारा समुंदर पी गयापर मिरे होंटों के ये दोनों किनारे जल गए
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नींद आए तो कुछ सुराग़ मिलेकौन है दफ़्न मेरे ख़्वाबों में
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मैं तिरे जिस्म के जब पार निकल जाऊँगावस्ल की रात बड़ी ग़ौर-तलब होगी वो
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मैं अपने दरमियाँ से हट चुका हूँतो फिर क्या दरमियाँ रक्खा हुआ है
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जिन से मिलना न हुआ उन से बिछड़ कर रोएहम तो आँखों की हर इक हद से गुज़र कर रोए
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एक तस्वीर बनाई है ख़यालों ने अभीऔर तस्वीर से इक शख़्स निकल आया है
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एक किरदार नया रोज़ जिया करता हूँमुझ को शाएर न कहो एक अदाकार हूँ मैं
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जब मैं बाहर से बड़ा सख़्त नज़र आऊँगा तुम समझना कि मैं अंदर से बहुत टूटा हूँ
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