धनतंत्र का विकास-क्रमकल रात बग़ल से कब उठ गईचुपचाप अलमारी तोड़कर कौन-सा एसिडगटागट पी कर मर रही हो अबउपजिह्वा गल चुकी है दोनों गालों में है छेदमसूढ़े और दाँत बहते हुए दिख रहे हैं चिपचिपे तरल मेंगाढ़ा झाग, घुटने में हो रहा है ऐंठन से दर्दबाल अस्त-व्यस्त, बनारसी साड़ी-सायाख़ून से लथपथ, मुट्ठी में कजरौटासोले से बना मुकुट रक्त से सना रखा है एक ओरकैसे कर पाई सहन, नहीं जान पायानहीं सुन पाया कोई दबी हुई चीत्कारतो क्यूँ सहमति दी थी गर्दन हिलाकरमैं चाहता हूँ जैसे भी हो, तुम बच जाओसमग्र जीवन रहो कथाहीन होकर
-Malay Roychoudhury
Select a background
More quotes by Malay Roychoudhury
Popular Authors
A curated listing of popular authors.