जो भी स्त्री-पुरुष हंसते-खिलखिलाते हुए दहेज जैसे लेनदेन वाले समारोहों में शामिल होते हैं, मैं मानता हूं कि उन्हें स्त्री की समानता और स्वतंत्रता में कोई दिलचस्पी नहीं होती और वे यह स्वीकार चुके होते हैं कि स्त्रियों में कोई आधारभूत कमी होती है जिसकी भरपाई वे पैसे देकर पूरी करते हैं।-संजय ग्रोवर Sanjay Grover
-संजय ग्रोवर Sanjay Grover
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